कृषि से संबंधित केन्द्र की योजनाएं

          योजना चक्र पब्लिकेशन

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

देश के कृषक परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना दिसंबर , 2018 से लागू किया गया।  इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

योजना की शुरुआत 2018

उद्देश्यइस योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश के लघु एवं सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय संबंधी सहायता प्रदान करना है।

प्रमुख बिन्दु-

  • यह योजना भारत सरकार द्वारा शत् प्रतिशत वित्त पोषित योजना है।
  • योजना के तहत परि,पत्नी और 18 साल आयु तक के बच्चे को किसान परिवार के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • इसमें वन अधिकार पट्टाधारी कृषक परिवार भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • किसान परिवार को कुल राशि 6000 प्रतिवर्ष 4-4 महीनों के अंतराल में 3 किस्तों में  दी जाती है।
  • इस योजना के अंतर्गत सभी श्रेणी के किसान पात्र हैं। जिनका नाम भू-अभिलेख में दर्ज हैं तथा जो अपवर्जन श्रेणी में नहीं आते हैं।
  • दिसंबर 2022 की स्थिति में प्रदेश में कुल 40,76,121 किसानों का पंजीयन किया गया।

 

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- 

किसानों को प्राकृतिक आपदा से फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दी गई थी।

योजना की शुरुआत- 13 जनवरी 2016

उद्देश्य- किसानों को बाढ़, आंधी, तेज बारिश आदि के कारण फसल को हुए नुकसान पर उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन वर्ष 2019-20 से ग्राम स्तर पर प्रदेश के सभी जिलों में लागू की गई।
  •  इसमें रबी और खरीफ की फसलों का बीमा किया जाता है।
  • यह राज्य द्वारा अधिसूचित खाद्य फसलों, तिलहनों और वार्षिक बागवानी / वाणिज्यिक फसलों के लिए सुरक्षा बीमा योजना है |
  • प्राकृतिक आपदा/संकट, कीट, कृमि और रोग एवं विपरीत मौसम परिस्थितियों के विरुद्ध वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना।
  • वाणिज्यिक फसलों का बीमा भी इसमें कराया जा सकता है।

( किसानों को फसल की बुवाई के 15 दिन के भीतर फसलों का बीमा कराना होता है। यदि प्राकृतिक आपदा से किसान की फसल को नुकसान होता है तो किसान फसल बीमा का क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी होता है। इसके लिए किसान को फसल नुकसान की 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी या कृषि अधिकारी को सूचना देना जरूरी होता है।)

बीमित फसल:

खरीफ- धान सिंचित, धान असिंचित, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन, तुअर(अरहर), मूंग तथा उड़द

रबी- गेहूं सिंचित, गेहूं असिंचित, चना, राई-सरसों एवं असली

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

किसानों को सिंचाई के लिए यंत्र उपलब्ध कराने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का संचालन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 1 जुलाई 2015 को हर खेत को पानी के आदर्श वाक्य के साथ शुरू की गई थी।

योजना की शुरुआत- 1 जुलाई 2015

उद्देश्य: पानी की बढ़ती कमी को देखते हुए बूंद-बूंद जल उपयोग करना ही इस योजना का मुख्य लक्ष्य है।

प्रमुख बिन्दु:

  • लघु एवं सीमांत कृषकों को स्प्रिंकलर / ड्रिप स्थापना पर कुल 55 प्रतिशत तथा अन्य कृषकों को 45 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है।
  • यह योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना (कोर योजना) है। केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी 75:25 प्रतिशत है।
  •  उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों के मामले में यह अनुपात 90:10 रहेगा।
  • किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली अपनाने पर जोर।
  • इस योजना में स्रोत निर्माण, वितरण, प्रबंधन, क्षेत्र अनुप्रयोग और विस्तार गतिविधियां को शामिल किया गया है।
  • इस योजना से जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग के एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम और कृषि जल प्रबंधन के त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम कृषि और सहकारिता विभाग आदि को जोड़ा गया है।

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (तिलहन) (NFSM-OS) योजना- 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2007 में राष्ट्रीय विकास परिषद की कृषि उप-समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।

योजना की शुरुआत- 2007

उद्देश्य- योजना का मुख्य उद्देश्य तिलहनी फसलों का क्षेत्र विस्तार कर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि कर खाद्य तिलहन की उपलब्धता बढ़ाना है।

प्रमुख बिन्दु:

  • योजनान्तर्गत कृषकों को प्रदर्शन, प्रमाणित बीज वितरण, आधार व प्रमाणित बीज उत्पादन, आई.पी.एम., आई.एन.एम., सिंचाई यंत्र, कृषि यंत्र (हस्त चलित एवं पावर चलित) फसल आधारित प्रशिक्षण, बीज मिनिकिट आदि से लाभान्वित करना।
  • इसे मुख्य रूप से चावल, गेहूँ, दलहन जैसी लक्षित फसलों के उत्पादन में धारणीय वृद्धि के साथ कदन्न, पोषक अनाज और तिलहन तक विस्तारित किया गया।
  • कृषि विशिष्ट उत्पादकता और मृदा की उर्वरता की पुनर्प्राप्ति।
  • कृषि क्षेत्र में शुद्ध आय में वृद्धि।
  • खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशनऑयल पाम (NMEO-OP): खाद्य तेल आयात को कम करने के लिये अगस्त 2021 में NMEO-OP की स्थापना की गई।
  • यह मिशन पाम ऑयल की खेती के विस्तार पर ज़ोर देता है, जिसका उद्देश्य कच्चे पाम ऑयल का उत्पादन, उत्पादकता बढ़ाना और देश के आयात बोझ को कम करना है।

  • किसान ‘आत्मा’ योजना

किसान ‘आत्मा’ योजना (Kisan ATMA Yojana) का पूरा नाम कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (Agriculture Technology Management Agency) है। इस योजना की शुरुआत साल 2005-06 में हुई थी।

योजना की शुरुआत- 2005-06

उद्देश्य- इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे पैमाने पर खेती करने वाले किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी आय को दोगुना करना है।

प्रमुख बिन्दु:

  • केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘आत्मा’ योजना (ATMA Yojana) देश के किसानों के लिए बनाई गई है जो आधुनिक खेती के लाभों से परिचित नहीं हैं।
  • इस योजना के माध्यम से किसानों को आधुनिक खेती से रूबरू कराया जाता है।
  • ‘आत्मा’ योजना की मदद से किसानों को समय-समय पर आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है।
  •  इस योजना की मदद से किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने की जानकारी मिलती है।
  • कृषि एवं समवर्गी क्षेत्रों में उन्नत तकनीकी के प्रचार-प्रसार क्षमता विकास के उद्देश्य से योजना संचालित है।
  • वर्ष 2022-23 में कुल 989 प्रशिक्षण एवं 202 शैक्षणिक भ्रमण, 20604 फसल प्रदर्शन, 184 कृषक समूह, 11 कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा एवं 43 किसान गोष्ठी गतिविधियों का आयोजन किया गया है।
  • वर्तमान में 104 फार्म स्कूल का संचालन किया जा रहा है।
  • योजना के अंतर्गत कुल 51196 कृषक (10439 महिला कृषक) लाभान्वित हुए हैंय़
  • शासकीय  और किसानों के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करने होते दो ग्रामों में एक किसान संगवारी रखने का प्रावधान है।
  • योजनान्तर्गत कुल 8903 किसान संगवारी कार्यरत हैं।

  • स्वायल(मृदा) हेल्थ कार्ड योजना (Soil Health Card)

शुरुआत 19 फरवरी 2015

उद्देश्य उर्वरकों के उपयोग से मृदा में उपस्थित पोषक तत्त्वों में होने वाली कमी को दूर करना

प्रमुख बिन्दु

  • स्वायल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत 19 फरवरी 2015 को केंद्र सरकार द्वारा की गयी थी।
  • शुरुआत में इसे राजस्थान के सूरतगढ़ में लागू किया गया था।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना  की थीम है: स्वस्थ धरा, खेत हरा।
  • इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी आयु 40 वर्ष तक है, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना एवं नमूना परीक्षण कर सकते हैं।
  • प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 लाख रूपए तक का खर्च आता हैं, जिसका 75 प्रतिशत केंद्र एवं राज्य सरकार वहन करती है।
  • स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियाँ, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठनों के लिये भी यहीं प्रावधान है।
  • योजना के तहत मृदा की स्थिति का आकलन नियमित रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 वर्ष में किया जाता है, ताकि पोषक तत्त्वों की कमी की पहचान के साथ ही सुधार लागू हो सकें।

  • पीएम किसान मानधन योजना-(पीएम-केएमवाई)

पीएम किसान मानधन योजना को 31 मई 2019 को शुरू किया गया था। यह किसानों के लिए शुरू की गई एक पेंशन योजना है। यह केंद्र सरकार की योजना है। 

योजना की शुरुआत 31 मई 2019

उद्देश्य किसानों को पेंशन देकर वृद्धावस्था में आर्थिक लाभ पहुंचाना।

प्रमुख बिन्दु:

  • पीएम किसान मानधन योजना में आधा प्रीमियम ही किसान से लिया जाता है और आधा सरकार खुद जमा करती है।
  • किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। जब किसान की आयु 60 वर्ष पूरी हो जाती है उसके अगले साल से किसान को पेंशन का लाभ सीधे उसके खाते में दिया जाता है।
  •  ये योजना किसानों के लिए एैच्छिक की गई है। किसान खुद अपनी मर्जी से इस योजना में जुड़ सकते हैं।
  • पीएम किसान मानधन योजना के तहत पेंशन का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे हैं।
  • इस योजना से जुडऩे की उम्र 18 से 40 साल तक रखी गई है।
  • पेंशन के लिए हर महीने 55 से 200 रुपए प्रीमियम तक प्रीमियम जमा कराना होता है।
  • इस योजना में प्रीमियम की राशि किसानों की उम्र के आधार पर निर्भर करेगी। जितनी देर से आप इस योजना में शामिल होंगे उतना ही अधिक प्रीमियम देना होगा।
  • इस योजना में शामिल किसानों को 60 साल की आयु पूरी होने के बाद 3,000 रुपए की मासिक पेंशन दी जाएगी।
  • किसान की मृत्यु होने की स्थिति में आश्रित को 1,500 रुपए की मासिक पेंशन मिलेगी।

  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RAFTAAR)

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना भारत सरकार की एक केंद्र पोषित योजना है। जो वर्ष 2007-08 से संचालित की जा रही है। योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं सम्वर्गी क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर जिलों एवं राज्यों के लिए कृषि योजनाएं तैयार कर महत्वपूर्ण फसलों में उपज अंतर को कम करना, कृषि और सम्वर्गीय क्षेत्रों में किसानों की आय में वृद्धि करना है।

योजना की शुरुआत- 2007-08

उद्देश्य- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य खेती को आर्थिक गतिविधि के मुख्य स्रोत के रूप में विकसित करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को कृषि-जलवायु परिस्थितियों, प्राकृतिक संसाधनों और प्रौद्योगिकी को ध्यान में रखते हुए व्यापक कृषि विकास योजनाओं को तैयार करने हेतु राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2007-2008 में कृषि कल्याण विभाग की एक प्रमुख योजना के रूप में शुरू किया गया।
  • राज्य कृषि विभाग राज्य में योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग है।
  • यह योजना कृषि और फसल जैसे संबद्ध क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों के लिए उपलब्ध है।
  • वर्ष 2017-18 से इस योजना को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना- रीम्यूनरेटिव अप्रोचेज फॉर एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेट्र रीजुवेनेशन के रूप में नया स्वरूप प्रदान किया गया।
  • यह योजना कृषि और संबद्ध क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों जैसे फसल विकास, बागवानी, कृषि मशीनीकरण, विपणन, फसल-पूर्व और फसलोपरांत प्रबंधन, एकीकृत कीट प्रबंधन, जैविक खेती अनुसंधान विस्तार आदि के लिए उपलब्ध है।
  • आरकेवीवाई ने वर्ष 2022-23 से आरकेवीवाई कैफेटेरिया योजना के रूप में पुनर्गठित किया, जिसमें कृषि और किसान कल्याण विभाग की कुछ योजनाओं का विलय किया गया। इसमें मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता, वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रति बूंद अधिक फसल, कृषि मशीनीकरण सहित ग्राम हाट एंव ग्राम और फसल विविधीकरण कार्यक्रम शामिल है।

  • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन

योजना की शुरुआत- 2014-15

उद्देश्य- लघु एवं सीमांत किसानों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाना है।

प्रमुख बिन्दु:

  • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) 2014-15 में कृषोन्नति योजना के अंतर्गत आरंभ किया गया एक उप मिशन है।
  • इस योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। किसानों को सस्ती कीमत पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सकें।
  • कृषि मशीनों की लिस्ट में अब ड्रोन को भी शामिल कर लिया गया है। इसे खरीदने के लिए भी किसानों और संस्थाओं को सरकार की ओर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा।

  • सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाईजेशन

योजना की शुरुआत- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2014-15 में SMAM लॉन्च किया ।

उद्देश्य- छोटे और सीमांत किसानों और उन क्षेत्रों और कठिन क्षेत्रों तक कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाना जहां कृषि बिजली की उपलब्धता कम है।

प्रमुख बिन्दु:

  • भारत सरकार ने कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) योजना के तहत कृषि मशीनीकरण की विभिन्न गतिविधियों के लिए धन जारी किया है।
  • कृषि मंत्रालय ने एक बहुभाषी मोबाइल ऐप, ‘सीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर) – फार्म मशीनरी’ भी विकसित किया है जो किसानों को उनके इलाके में स्थित कस्टम हायरिंग सेवा केंद्रों से जोड़ता है।

  • परम्परागत कृषि विकास योजना

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) एक पारंपरिक कृषि सुधार कार्यक्रम है जो 2015 में शुरू किया गया था। यह सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture) के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) का एक विस्तारित घटक है।

योजना की शुरुआत 2015

उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना।

प्रमुख बिन्दु:

  • (PKVY) परम्परागत कृषि विकास योजना की शुरुआत केंद्र सरकार के द्वारा की गयी है।
  • देश के किसान नागरिकों को जैविक खेती करने के लक्ष्य से योजना की घोषणा की गयी है।
  • यह योजना किसान नागरिकों को जैविक कृषि करने हेतु मदद प्रदान करेगी।
  • स्वायल हेल्थ योजना के तहत यह योजना शुरू की गयी है।
  • योजना के माध्यम से किसान नागरिकों को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जायेगा।
  • यह कृषि के क्षेत्र में ऑर्गनिक रूप से उत्पादन करने के लिए एक बेहतर कदम उठाया गया है। जिसमें मिटटी की गुणवक्ता को भी बढ़ावा दिया जायेगा।
  • जैविक खेती करने के लिए किसान नागरिकों को योजना के अंतर्गत 3 वर्ष की अवधि की लिए 50 हजार रूपए की आर्थिक मदद प्राप्त होगी।

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